आज तक भारत को पाकिस्तान के सन्दर्भ में कोई निर्णय लेते वक्त डरते देखा, कुछ मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए, न जाने क्यों लोग पाकिस्तान को मुस्लिम तुष्टीकरण से जोड़ देते है|
आज पहली बार पाकिस्तान को डरते हुए देख रहा हूँ, ये कूटिनीतिक फैसला है की अगर नवाज शरीफ मोदी जैसे राष्ट्रवादी नेता के प्रधानमंत्री होते हुए भारत आते है, तो उनकी उन्ही के देश में कितनी थू थू होने वाली है ये उनसे बेहतर कोई न समझ सकता है, और अगर नहीं आते है तो अंतराष्ट्रीय समुदाय के सामने मुह न दिखा पायेगे|
मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले ही पाकिस्तान को ऐसे कूटिनीतिक दांव पेंच में फसा के रख दिया है, जहाँ से इन दोनों देशो के बीच के नए रिश्ते तय होने है|
जो लोग ये कहते हुए फिर रहे है की पिछली बार भी अटल जी की सरकार में ऐसी ही पहल की गयी थी जिसका परिणाम कारगिल युद्ध में परिवर्तिति हुआ, पर वो लोग ये भूल जाते है कि उस युद्ध में भारत की ही विजय हुई थी, उस विजय का श्रेय जितना देश के जवानो को जाता है उतना ही देश के प्रधानमंत्री के निर्णय लेने की छमता को भी जाता है, तत्कालीन भाजपा की सरकार ने जिस तरह से देश को आर्थिक और राजनीतिक रूप से मजबूत बनाये रखा, ये अपने में ही प्रशंशनीय था|
साम, दाम, दंड, भेद ये ४ तरीके होते है अपने शत्रु को हारने के लिए, ये पहला कदम है साम अर्थात प्यार से समझाना, दाम अर्थात प्रलोभन दे कर विजय पाना, दंड अर्थात युद्ध करना, भेद शत्रु को आपस में ही लड़ा कर ख़त्म कर देना|
तो मोदी जी ने तो अपने संस्कृती के हिसाब से पहला कदम उठा लिया है, आप चले या न चले मोदी जी तो चल दिए है|
जय हिन्द जय भारत!
आज पहली बार पाकिस्तान को डरते हुए देख रहा हूँ, ये कूटिनीतिक फैसला है की अगर नवाज शरीफ मोदी जैसे राष्ट्रवादी नेता के प्रधानमंत्री होते हुए भारत आते है, तो उनकी उन्ही के देश में कितनी थू थू होने वाली है ये उनसे बेहतर कोई न समझ सकता है, और अगर नहीं आते है तो अंतराष्ट्रीय समुदाय के सामने मुह न दिखा पायेगे|
मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले ही पाकिस्तान को ऐसे कूटिनीतिक दांव पेंच में फसा के रख दिया है, जहाँ से इन दोनों देशो के बीच के नए रिश्ते तय होने है|
जो लोग ये कहते हुए फिर रहे है की पिछली बार भी अटल जी की सरकार में ऐसी ही पहल की गयी थी जिसका परिणाम कारगिल युद्ध में परिवर्तिति हुआ, पर वो लोग ये भूल जाते है कि उस युद्ध में भारत की ही विजय हुई थी, उस विजय का श्रेय जितना देश के जवानो को जाता है उतना ही देश के प्रधानमंत्री के निर्णय लेने की छमता को भी जाता है, तत्कालीन भाजपा की सरकार ने जिस तरह से देश को आर्थिक और राजनीतिक रूप से मजबूत बनाये रखा, ये अपने में ही प्रशंशनीय था|
साम, दाम, दंड, भेद ये ४ तरीके होते है अपने शत्रु को हारने के लिए, ये पहला कदम है साम अर्थात प्यार से समझाना, दाम अर्थात प्रलोभन दे कर विजय पाना, दंड अर्थात युद्ध करना, भेद शत्रु को आपस में ही लड़ा कर ख़त्म कर देना|
तो मोदी जी ने तो अपने संस्कृती के हिसाब से पहला कदम उठा लिया है, आप चले या न चले मोदी जी तो चल दिए है|
जय हिन्द जय भारत!